सुबह के बाद बस मैंने रात तमाम देखी है
कई चाहतों कि नीलामी सरेआम देखीं है
आज अपने गाँव आया आज यार मिले
कई मुद्दतों बाद मैंने आज शाम देखीं है
रात और दिन का फासला हूँ मैं
ख़ुद से कब से नहीं मिला हूँ मैं
ख़ुद भी शामिल नहीं सफ़र में,
पर लोग कहते हैं काफिला हूँ मैं
छोड कर जाना सोची समझी साजिश थी ...
वर्ना तुम तो झगड़ा भी कर सकती थी...!
कई चाहतों कि नीलामी सरेआम देखीं है
आज अपने गाँव आया आज यार मिले
कई मुद्दतों बाद मैंने आज शाम देखीं है
रात और दिन का फासला हूँ मैं
ख़ुद से कब से नहीं मिला हूँ मैं
ख़ुद भी शामिल नहीं सफ़र में,
पर लोग कहते हैं काफिला हूँ मैं
छोड कर जाना सोची समझी साजिश थी ...
वर्ना तुम तो झगड़ा भी कर सकती थी...!
लोग आज भी तेरे बारे में पूछते है,,,,
की कहाँ है वो,,,,
मैं बस दिल पर हाथ रख देता हूँ...!!
सब्र जितना था कर लिया मैंने,
अब तू न आना लौटकर तो बेहतर है....
आप जितना ज्यादा खास होने की कोशिश करते हैं,
आपको उतनी ही ज्यादा चोट लगती है ।
सहज रहिए, पिघलकर हवा और मिट्टी का हिस्सा बन जाइए, जैसा सृष्टि चाहती है ।
मंज़िले भी उसकी थी,
रास्ते भी उसके ही थे..
लोग भी उसके थे,
काफ़िला भी उसका था..
साथ साथ चलने की सोच भी उसकी थी,
फ़िर रास्ते बदलनें का फैसला भी उसी का था..
आज क्यों अकेला हुँ दिल ये सवाल करता है,
लोग तो उसके ही थें, क्या ख़ुदा भी उसका था...
बड़ी मुद्दतो से बिछड़ा हूँ मैं खुद से,अब
बड़ी शिद्दत से चाहत है खुद को पाने की!
उन्हे मेरा इश्क़ मतलबी शायद इसलिये भी लगा क्योंकि माथा जो चूमा हमने,
काश होंठ चूम लेते तो इश्क़ मुक़म्मल् हो जाता उनकी नज़रों में।।
"कुदरत का कमाल भी देखो.......
एक तरफ मोहब्बत दूसरी तरफ इज्जत,,,,"
ए शाम हम से कुछ तो बोल
सूरज आज फिर ढल गया
क्यों आज तू इतनी खामोश है
वो तो आई नहीं आज भी
इंतज़ार में दिन एक ओर ढल गया।
मोहब्बत हराम नहीं है jnab
आज कल की महबूबा मतलबी हैं😢
रोते हुए को हसाने की क्या सजा पा गया,
मेरी जिंदगी की खुशी उसको मिली,
और उसकी जिंदगी का हर गम,
मेरे हिस्से आ गया,
पल पल तरसा था उस पल के लिये,
मगर वो पल भी आया तो कुछ पल के लिये,
सोचा था उस पल को एक हसीन पल बनाऊंगा।
मगर वो पल भी रुका तो कुछ पल के लिए,
बादल हो या बियर का नशा… अचानक से छा ही जाता है…
प्यार हो या चेहरे पे पिंपल…सबकी नज़र मे आ ही जाता है..
दाँत का दर्द हो या गर्ल फ्रेंड की शादी, आँखो मे आँसू आ ही जाते है……
एक बार कर के ऐतबार लिख दो,
कितना है मुझ से प्यार लिख दो,
कटती नहीं ये ज़िन्दगी अब तेरे बिन,
कितना और करूँ इन्तज़ार लिख दो।
तरस रहे हैं बड़ी मुद्दतों से हम,
अपनी मुहब्बत का इज़हार लिख दो,
दीवाने हो जाएँ जिसे पढ़ के हम,
कुछ ऐसा तुम एक बार लिख दो।
आज तड़पा है मेरा दिल जो कभी धड़का था
आज फिर याद तेरी मुझको पुरानी आयी
संग जीने का जो वादा था तेरा "लिंकन" से
आज हर बात तेरी मुझको जुबानी आयी
होठों पे वही ख़्वाहिशें, आँखों में हसीन
अफ़साने हैं..
तू अब भी एक मदहोश गज़ल, हम अब भी
तेरे दीवाने हैं।
ख़ुशी के आँसूं
गम की मुस्कान
यही होनी चाहिए
हर इंसान की पहचान
ये जो मुस्कान है
इसके पीछे छुपि
एक थकान है...
ये दिल आज भी
तुझ पर मेहरबान है...
और तूँ हमेशा की तरह
इस बात से अनजान है...!!
जलते हुए रावण ने भीड से पूछा -सालो!
तुम्हारी बीवी थोडे ही उठाई थी जो हर साल जलाते हो।
भीड में से एक आदमी- हमारी नहीं उठाई थी इसलिए ही तो जलाते हैं! 😜
आंसुओं की बूँदें हैं या आँखों की नमी है,
न ऊपर आसमां है न नीचे ज़मी है,
यह कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का,
उसी की ज़रूरत है और उसी की कमी है।
एक दिन अचानक एक बात हुई
फिर न उससे बात न मुलाकात हुई